बंगाल की मैं शाम-ओ-सहर देख रहा हूँ
हर चंद के हूँ दूर मगर देख रहा हूँ
(शाम-ओ-सहर = शाम और सुबह)
इफ़लास की मारी हुई मख़लूक सर-ए-राह
बेगोर-ओ-क़फ़न ख़ाक बसर देख रहा हूँ
(इफ़लास = दरिद्रता, ग़रीबी), (मख़लूक = सृष्टि के बनाए हुए जीव), (बेगोर-ओ-क़फ़न = बिना कब्र और क़फ़न के)
इन्सान के होते हुए इन्सान का ये हश्र
देखा नहीं जाता है मगर देख रहा हूँ
रहमत का चमकने को है फिर नैयिर-ए-ताबां
होने को है इस शब की सहर देख रहा हूँ
(नैयिर-ए-ताबां = सूर्य का प्रकाश), (शब = रात), (सहर = सुबह, सवेरा)
-जिगर मुरादाबादी
Singer: Vinod Sehgal
हर चंद के हूँ दूर मगर देख रहा हूँ
(शाम-ओ-सहर = शाम और सुबह)
इफ़लास की मारी हुई मख़लूक सर-ए-राह
बेगोर-ओ-क़फ़न ख़ाक बसर देख रहा हूँ
(इफ़लास = दरिद्रता, ग़रीबी), (मख़लूक = सृष्टि के बनाए हुए जीव), (बेगोर-ओ-क़फ़न = बिना कब्र और क़फ़न के)
इन्सान के होते हुए इन्सान का ये हश्र
देखा नहीं जाता है मगर देख रहा हूँ
रहमत का चमकने को है फिर नैयिर-ए-ताबां
होने को है इस शब की सहर देख रहा हूँ
(नैयिर-ए-ताबां = सूर्य का प्रकाश), (शब = रात), (सहर = सुबह, सवेरा)
-जिगर मुरादाबादी
Singer: Vinod Sehgal
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