दिल में तुम हो नज़अ का हंगाम है
कुछ सहर का वक़्त है कुछ शाम है
(नज़अ = मरने के समय साँस तोड़ना, आख़िरी साँस), (सहर = सुबह)
रंज-ओ-ग़म दिल की तबीयत बन चुके
अब यहाँ आराम ही आराम है
(रंज = कष्ट, दुःख, आघात, पीड़ा)
पी रहा हूँ आँखों आँखों में शराब
अब ना शीशा है ना कोई जाम है
-जिगर मुरादाबादी
इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:
इश्क़ ही ख़ुद इश्क़ का इनआम है
वाह क्या आग़ाज़ क्या अंजाम है
(आग़ाज़ = प्रारम्भ)
पीने वाले एक ही दो हों तो हों
मुफ़्त सारा मैकदा बदनाम है
Dil Mein Tum Ho Naza'a Ka Hangaam Hai
Kuch Sahar Ka Waqt Hai Kuch Shaam Hai
Ranj-O-Gham Dil Ki Tabiyat Ban Chuke
Ab Yahan Aaram Hi Aaram Hai
Pee Raha Hoon Ankhon Ankhon Mein Sharaab
Ab Na Sheesha Hai Na Koi Jaam Hai
Ishq Hi Khud Ishq Ka Inaam Hai
Waah Kya Aaghaaz Kya Anjaam Hai
Peene Wale Ek Hi Do Hon To Hon
Muft Sara Maikada Badnaam Hai
-Jigar Moradabadi
कुछ सहर का वक़्त है कुछ शाम है
(नज़अ = मरने के समय साँस तोड़ना, आख़िरी साँस), (सहर = सुबह)
रंज-ओ-ग़म दिल की तबीयत बन चुके
अब यहाँ आराम ही आराम है
(रंज = कष्ट, दुःख, आघात, पीड़ा)
पी रहा हूँ आँखों आँखों में शराब
अब ना शीशा है ना कोई जाम है
-जिगर मुरादाबादी
इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:
इश्क़ ही ख़ुद इश्क़ का इनआम है
वाह क्या आग़ाज़ क्या अंजाम है
(आग़ाज़ = प्रारम्भ)
पीने वाले एक ही दो हों तो हों
मुफ़्त सारा मैकदा बदनाम है
Dil Mein Tum Ho Naza'a Ka Hangaam Hai
Kuch Sahar Ka Waqt Hai Kuch Shaam Hai
Ranj-O-Gham Dil Ki Tabiyat Ban Chuke
Ab Yahan Aaram Hi Aaram Hai
Pee Raha Hoon Ankhon Ankhon Mein Sharaab
Ab Na Sheesha Hai Na Koi Jaam Hai
Ishq Hi Khud Ishq Ka Inaam Hai
Waah Kya Aaghaaz Kya Anjaam Hai
Peene Wale Ek Hi Do Hon To Hon
Muft Sara Maikada Badnaam Hai
-Jigar Moradabadi
No comments:
Post a Comment