सहर-गह ईद में दौर-ए-सबू था
पर अपने जाम में तुझ बिन लहू था
(सहर-गह = सुबह के समय, प्रातःकाल), (ईद = आनंद/ ख़ुशी), (दौर-ए-सबू = शराब का दौर)
गुल-ओ-आईना क्या ख़ुर्शीद-ओ-माह क्या
जिधर देखा उधर तेरा ही रू था
(ख़ुर्शीद-ओ-माह = सूरज और चाँद)
मगर दीवाना था गुल भी किसी का
के पैराहन में सौ जगहा रफू था
(पैराहन = वस्त्र)
जहाँ पुर है फ़साने से हमारे
दिमाग़-ए-इश्क़ हम को भी कभू था
(पुर = भरा हुआ), (फ़साने = कहानी)
ना देखा 'मीर'-ए-आवारा को लेकिन
ग़ुबार एक नातवाँ सा कू-ब-कू था
(नातवाँ = दुर्बल, कमज़ोर), (कू-ब-कू = गली गली में)
-मीर तक़ी मीर
Sahar-gah Eid mein daur-e-subuu tha
Par apane jaam mein tujh bin lahuu tha
Gul-o-aaiinaa kya khurshiid-o-maah kya
Jidhar dekhaa udhar teraa hi ruu thaa
Magar deewana tha ghul bhi kisi ka
Ke peharahan mein sau jagka rafoo tha
Jahaan pur hai fasaane se hamaare
Dimaag-e-ishq hum ko bhi kabhuu tha
Na dekha 'Mir'-e-aawaara ko lekin
Gubaar ek naatwaan sa koo-b-koo tha
-Mir Taqi Mir
पर अपने जाम में तुझ बिन लहू था
(सहर-गह = सुबह के समय, प्रातःकाल), (ईद = आनंद/ ख़ुशी), (दौर-ए-सबू = शराब का दौर)
गुल-ओ-आईना क्या ख़ुर्शीद-ओ-माह क्या
जिधर देखा उधर तेरा ही रू था
(ख़ुर्शीद-ओ-माह = सूरज और चाँद)
मगर दीवाना था गुल भी किसी का
के पैराहन में सौ जगहा रफू था
(पैराहन = वस्त्र)
जहाँ पुर है फ़साने से हमारे
दिमाग़-ए-इश्क़ हम को भी कभू था
(पुर = भरा हुआ), (फ़साने = कहानी)
ना देखा 'मीर'-ए-आवारा को लेकिन
ग़ुबार एक नातवाँ सा कू-ब-कू था
(नातवाँ = दुर्बल, कमज़ोर), (कू-ब-कू = गली गली में)
-मीर तक़ी मीर
Sahar-gah Eid mein daur-e-subuu tha
Par apane jaam mein tujh bin lahuu tha
Gul-o-aaiinaa kya khurshiid-o-maah kya
Jidhar dekhaa udhar teraa hi ruu thaa
Magar deewana tha ghul bhi kisi ka
Ke peharahan mein sau jagka rafoo tha
Jahaan pur hai fasaane se hamaare
Dimaag-e-ishq hum ko bhi kabhuu tha
Na dekha 'Mir'-e-aawaara ko lekin
Gubaar ek naatwaan sa koo-b-koo tha
-Mir Taqi Mir
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