हमने तो नहीं जाना तिनके का सहारा भी
तूफाँ ने डुबोया था तूफाँ ने उभारा भी
है एक ज़माने पर एहसान हमारा भी
बिगड़े जो मुहब्बत में कितनों को सँवारा भी
खुद आऊँगा साहिल तक आवाज़ न दे कोई
तौहीन-ए-जवानी है तिनके का सहारा भी
(साहिल = किनारा)
जो अपने उभरने की कोशिश नहीं खुद करता
उस डूबने वाले पर हँसता है किनारा भी
जाओगे कहाँ बचकर बदनाम-ए-मुहब्बत से
दुनिया की ज़बां पर है अब नाम तुम्हारा भी
कुछ हाल सुना उनका कुछ हाल कहा अपना
कुछ बोझ लिया सर पर कुछ सर से उतारा भी
इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:
जब वो थे रात अपनी हर तरह से रोशन थी
चमके थे अगर जुगनू टूटा था सितारा भी
फिर ताजा करें चलकर ईमान-ए-मुहब्बत को
इक बार जिसे देखा देख आयें दुबारा भी
उभरे कोई या डूबे इक लहर तो पैदा हो
ख़ामोश है तूफाँ भी गुमसुम है किनारा भी
चेहरे पे 'नज़ीर' उनके है रंग-ए-शिकस्त अब तक
जीती हुई बाज़ी को मैं जान के हारा भी
-नज़ीर बनारसी
Humne to nahi'n jaana tinke ka sahaara bhi
Tooofaan ne Duboya tha, toofaan ne ubhaara bhi
Hai ek zamaane par ehsaan humaara bhi
BigDe jo muhabbat mein kitno'n ko sa'nvaara bhi
Khud aaunga saahil tak aawaaz na de koi
Tauheen-e-jawani hai tinke ka sahaara bhi
Jo apne ubharne ki koshish nahi'n khud karta
Us Doobnewale par hansta hai kinaara bhi
Jaaoge kahaan bachkar badnaam-e-muhabbat se
Duniya ki zabaa'n par hai ab naam tumhaara bhi
Kuchh haal suna unka kuchh haal kaha apna
Kuchh bojh liya sar par kuchh sar se utaara bhi
-Nazeer Banarasi
तूफाँ ने डुबोया था तूफाँ ने उभारा भी
है एक ज़माने पर एहसान हमारा भी
बिगड़े जो मुहब्बत में कितनों को सँवारा भी
खुद आऊँगा साहिल तक आवाज़ न दे कोई
तौहीन-ए-जवानी है तिनके का सहारा भी
(साहिल = किनारा)
जो अपने उभरने की कोशिश नहीं खुद करता
उस डूबने वाले पर हँसता है किनारा भी
जाओगे कहाँ बचकर बदनाम-ए-मुहब्बत से
दुनिया की ज़बां पर है अब नाम तुम्हारा भी
कुछ हाल सुना उनका कुछ हाल कहा अपना
कुछ बोझ लिया सर पर कुछ सर से उतारा भी
इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:
जब वो थे रात अपनी हर तरह से रोशन थी
चमके थे अगर जुगनू टूटा था सितारा भी
फिर ताजा करें चलकर ईमान-ए-मुहब्बत को
इक बार जिसे देखा देख आयें दुबारा भी
उभरे कोई या डूबे इक लहर तो पैदा हो
ख़ामोश है तूफाँ भी गुमसुम है किनारा भी
चेहरे पे 'नज़ीर' उनके है रंग-ए-शिकस्त अब तक
जीती हुई बाज़ी को मैं जान के हारा भी
-नज़ीर बनारसी
Humne to nahi'n jaana tinke ka sahaara bhi
Tooofaan ne Duboya tha, toofaan ne ubhaara bhi
Hai ek zamaane par ehsaan humaara bhi
BigDe jo muhabbat mein kitno'n ko sa'nvaara bhi
Khud aaunga saahil tak aawaaz na de koi
Tauheen-e-jawani hai tinke ka sahaara bhi
Jo apne ubharne ki koshish nahi'n khud karta
Us Doobnewale par hansta hai kinaara bhi
Jaaoge kahaan bachkar badnaam-e-muhabbat se
Duniya ki zabaa'n par hai ab naam tumhaara bhi
Kuchh haal suna unka kuchh haal kaha apna
Kuchh bojh liya sar par kuchh sar se utaara bhi
-Nazeer Banarasi
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