अब कोई बात भी मेरी माना के होश की नहीं
आपको भूल जाऊँ मैं, ऐसी तो बेख़ुदी नहीं
तीर पे तीर खाए जा, और यार से लौ लगाए जा
आह ना कर, लबों को सी, इश्क़ है दिल्लगी नहीं
आह! मेरी शब-ए-फ़िराक़, हाय ! मेरी शब-ए-फ़िराक़
यानि कि आज शाम से, तारों में रौशनी नहीं
(शब-ए-फ़िराक़ = जुदाई की रात)
तेरे करम से बेनियाज़, मुझे कौन सी शै मिली नहीं
झोली मेरी तंग है तेरे यहाँ कमी नहीं
(बेनियाज़ = सब प्रकार की आवश्यकताओं और बंधनों से रहित, परम स्वतंत्र, प्रायः ईश्वर के सम्बन्ध में), (शै = वस्तु, पदार्थ, चीज़)
-नामालूम
https://www.youtube.com/watch?v=TzrUzJ0XdVQ&feature=youtu.be
Ab koi baat bhi meri maana ke hosh ki nahi
Appko bhool jaun main, aisi to bekhudi nahi
Teer pe teer khaaye ja aur yaar se lau lagaaye ja
Aah na kar labon ko see ishq hai dillagi nahi
Aah! meri shab-e-firaq, haaye! meri shab-e-firaq
Yaani ki aaj shaam se, taaron mein raushni nahi
Tere karm se be niyaaz mujhe kaun si shai mili nahi
Jholi meri tang hai tere yahan kami nahi
-Unknown
आपको भूल जाऊँ मैं, ऐसी तो बेख़ुदी नहीं
तीर पे तीर खाए जा, और यार से लौ लगाए जा
आह ना कर, लबों को सी, इश्क़ है दिल्लगी नहीं
आह! मेरी शब-ए-फ़िराक़, हाय ! मेरी शब-ए-फ़िराक़
यानि कि आज शाम से, तारों में रौशनी नहीं
(शब-ए-फ़िराक़ = जुदाई की रात)
तेरे करम से बेनियाज़, मुझे कौन सी शै मिली नहीं
झोली मेरी तंग है तेरे यहाँ कमी नहीं
(बेनियाज़ = सब प्रकार की आवश्यकताओं और बंधनों से रहित, परम स्वतंत्र, प्रायः ईश्वर के सम्बन्ध में), (शै = वस्तु, पदार्थ, चीज़)
-नामालूम
https://www.youtube.com/watch?v=TzrUzJ0XdVQ&feature=youtu.be
Ab koi baat bhi meri maana ke hosh ki nahi
Appko bhool jaun main, aisi to bekhudi nahi
Teer pe teer khaaye ja aur yaar se lau lagaaye ja
Aah na kar labon ko see ishq hai dillagi nahi
Aah! meri shab-e-firaq, haaye! meri shab-e-firaq
Yaani ki aaj shaam se, taaron mein raushni nahi
Tere karm se be niyaaz mujhe kaun si shai mili nahi
Jholi meri tang hai tere yahan kami nahi
-Unknown
जिगर मुरादाबादी
ReplyDeleteYe Kalaam Hyderabad Kay Ek Mashoor Buzurg Hazrath Kamil Shuttari (Ra) Ka Hai...
ReplyDeleteIska digital enhanced version hai kisi ke pass plz share
ReplyDelete