तलाश-ए-मंज़िल-ए-जाना इक बहाना था
तमाम उम्र मैं अपनी तरफ़ रवाना था
(तलाश-ए-मंज़िल-ए-जाना = प्रियतम की मंज़िल की खोज)
मैं उसको हश्र में किस नाम से सदा देता
के मेरा उसका तअर्रूफ़ ग़ाएबाना था
(हश्र = क़यामत), (सदा = आवाज़), (तअर्रूफ़ = जान-पहचान, परिचय), (ग़ायबाना = अप्रत्यक्ष, पीठ पीछे )
अजब कशिश थी समंदर की सब्ज़ आँखों में
हर इक चश्म: उसी की तरफ़ रवाना था
(कशिश = आकर्षण, खिंचाव), (सब्ज़ = हरी), (चश्म:= पानी का सोता, छोटी नदी, झरना)
मैं तेरी धुन में रवां था मुझे पता न चला
गुबार-ए-राह में शामिल ग़म-ए-ज़माना था
(रवां = बहता हुआ), (गुबार-ए-राह = रास्ते की धूल), (ग़म-ए-ज़माना = जमाने का ग़म)
-अमजद इस्लाम अमजद
इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:
अजब रंग था रिन्दों का तेरी महफ़िल में
थी प्यास जिसमें जितनी, मिला पैमाना था
(रिन्दों = शराबियों)
तुम्हारे दर से आता हूँ तो लोग कहते हैं
फ़क़ीर आता है लेकिन अदा शहाना था
(शहाना = शाहों जैसा, राजकीय)
तुम्हीं ने थामा है तो संभला है तेरा दीवाना
नहीं तो आवारा दिल का कहाँ ठिकाना था
वही नहीं तो वर्क़ किस लिए सियाह करें
सुखन तो अर्ज़-ए-तमन्ना का एक बहाना था
(वर्क़ = पृष्ठ, पन्ना), (सियाह = काला), ((सुखन = कथन, कविता, काव्य)
समंद-ए-शौक़ था 'अमजद' रवां दवां जब तक
हमारे पीछे सितारों का आशियाना था
(समंद-ए-शौक़ = अभिलाषाओं का घोड़ा), (रवां दवां = भागता दौड़ता हुआ)
https://www.youtube.com/watch?v=fA1St-crd64&feature=youtu.be
Talaash-e-manzil-e-jaana ek bahaana tha
Tamaam umr main apni taraf rawaana tha
Main usko hashr mein kis naam se sadaa deta
Ke mera uska ta'arruf gaaybaana tha
Ajab kashish thi samamdar ki sabz aankhon mein
Har ek chashm usi ki taraf rawaana tha
Main teri dhun mein ravaan tha mujhe pataa na chala
Gubaar-e-raah mein shaamil gham-e-zamaana tha
-Amjad Islam Amjad
तमाम उम्र मैं अपनी तरफ़ रवाना था
(तलाश-ए-मंज़िल-ए-जाना = प्रियतम की मंज़िल की खोज)
मैं उसको हश्र में किस नाम से सदा देता
के मेरा उसका तअर्रूफ़ ग़ाएबाना था
(हश्र = क़यामत), (सदा = आवाज़), (तअर्रूफ़ = जान-पहचान, परिचय), (ग़ायबाना = अप्रत्यक्ष, पीठ पीछे )
अजब कशिश थी समंदर की सब्ज़ आँखों में
हर इक चश्म: उसी की तरफ़ रवाना था
(कशिश = आकर्षण, खिंचाव), (सब्ज़ = हरी), (चश्म:= पानी का सोता, छोटी नदी, झरना)
मैं तेरी धुन में रवां था मुझे पता न चला
गुबार-ए-राह में शामिल ग़म-ए-ज़माना था
(रवां = बहता हुआ), (गुबार-ए-राह = रास्ते की धूल), (ग़म-ए-ज़माना = जमाने का ग़म)
-अमजद इस्लाम अमजद
इसी ग़ज़ल के कुछ और अश'आर:
अजब रंग था रिन्दों का तेरी महफ़िल में
थी प्यास जिसमें जितनी, मिला पैमाना था
(रिन्दों = शराबियों)
तुम्हारे दर से आता हूँ तो लोग कहते हैं
फ़क़ीर आता है लेकिन अदा शहाना था
(शहाना = शाहों जैसा, राजकीय)
तुम्हीं ने थामा है तो संभला है तेरा दीवाना
नहीं तो आवारा दिल का कहाँ ठिकाना था
वही नहीं तो वर्क़ किस लिए सियाह करें
सुखन तो अर्ज़-ए-तमन्ना का एक बहाना था
(वर्क़ = पृष्ठ, पन्ना), (सियाह = काला), ((सुखन = कथन, कविता, काव्य)
समंद-ए-शौक़ था 'अमजद' रवां दवां जब तक
हमारे पीछे सितारों का आशियाना था
(समंद-ए-शौक़ = अभिलाषाओं का घोड़ा), (रवां दवां = भागता दौड़ता हुआ)
https://www.youtube.com/watch?v=fA1St-crd64&feature=youtu.be
Talaash-e-manzil-e-jaana ek bahaana tha
Tamaam umr main apni taraf rawaana tha
Main usko hashr mein kis naam se sadaa deta
Ke mera uska ta'arruf gaaybaana tha
Ajab kashish thi samamdar ki sabz aankhon mein
Har ek chashm usi ki taraf rawaana tha
Main teri dhun mein ravaan tha mujhe pataa na chala
Gubaar-e-raah mein shaamil gham-e-zamaana tha
-Amjad Islam Amjad
Hi, अजब रंग था.., तुम्हारे दर से.., तुम्हीं ने थामा है.. - these 3 couplets are written by me and performed during a function. These 3 couplets are not Amjad Sahab's. enclosing the youtube link of the performance https://www.youtube.com/watch?v=NaCRvCboyvs&t=30s Kindly make the correction. - Gopal Ranjan
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