बेज़ुबानी ज़ुबाँ न हो जाये
राज़-ए-उल्फ़त अयाँ न हो जाये
(राज़-ए-उल्फ़त = प्यार का रहस्य/ भेद), (अयाँ = स्पष्ट, ज़ाहिर)
इस क़दर प्यार से न देख मुझे
फिर तमन्ना जवाँ न हो जाये
लुत्फ़ आने लगा जफ़ाओं में
वो कहीं मेहरबाँ न हो जाये
(जफ़ा = सख्ती, जुल्म, अत्याचार)
ज़िक्र उनका ज़ुबाँ पर आया
ये कहीं दास्ताँ न हो जाये
ख़ामोशी है ज़ुबान-ए-इश्क़ 'हफ़ीज़'
हुस्न गर बदगुमाँ न हो जाये
(बदगुमाँ = संदेह करने वाला)
-हफ़ीज़ जालंधरी
Bezubānī zubāṇ na ho jāye
rāz-e-ulfat ayāṇ na ho jāye
Is qadar pyār se na dekh mujhe
phir tamannā javāṇ na ho jāye
Lutf āne lagā jafāoṅ meṅ
vo kahīṅ meharbāṇ na ho jāye
Zikra unkā zubān par āyā
ye kahīṅ dāstāṇ na ho jāye
khamoshi hai zaban-e-isqq 'hafeez'
husn gar badgumaan na ho jāye
-Hafeez Jalandhari
राज़-ए-उल्फ़त अयाँ न हो जाये
(राज़-ए-उल्फ़त = प्यार का रहस्य/ भेद), (अयाँ = स्पष्ट, ज़ाहिर)
इस क़दर प्यार से न देख मुझे
फिर तमन्ना जवाँ न हो जाये
लुत्फ़ आने लगा जफ़ाओं में
वो कहीं मेहरबाँ न हो जाये
(जफ़ा = सख्ती, जुल्म, अत्याचार)
ज़िक्र उनका ज़ुबाँ पर आया
ये कहीं दास्ताँ न हो जाये
ख़ामोशी है ज़ुबान-ए-इश्क़ 'हफ़ीज़'
हुस्न गर बदगुमाँ न हो जाये
(बदगुमाँ = संदेह करने वाला)
-हफ़ीज़ जालंधरी
Bezubānī zubāṇ na ho jāye
rāz-e-ulfat ayāṇ na ho jāye
Is qadar pyār se na dekh mujhe
phir tamannā javāṇ na ho jāye
Lutf āne lagā jafāoṅ meṅ
vo kahīṅ meharbāṇ na ho jāye
Zikra unkā zubān par āyā
ye kahīṅ dāstāṇ na ho jāye
khamoshi hai zaban-e-isqq 'hafeez'
husn gar badgumaan na ho jāye
-Hafeez Jalandhari
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