चाँदनी है हवा है क्या कहिये
मुफ़लिसी क्या बला है क्या कहिये
(मुफ़लिसी = गरीबी)
बंदगी जिसकी है फ़क़त जिसकी रोना
वो हमारा ख़ुदा है क्या कहिये
इंतहा के हैं इश्क़ में सदमे
और अभी इब्तेदा है क्या कहिये
(इन्तिहा = अंत, समाप्ति, परिणाम, फल), (इब्तिदा = आरम्भ, प्रारम्भ, शुरुआत)
आज हाल-ए-दिल-ए-तबाह 'जिगर'
हमने किससे कहा है क्या कहिये
-जिगर मुरादाबादी
मुफ़लिसी क्या बला है क्या कहिये
(मुफ़लिसी = गरीबी)
बंदगी जिसकी है फ़क़त जिसकी रोना
वो हमारा ख़ुदा है क्या कहिये
इंतहा के हैं इश्क़ में सदमे
और अभी इब्तेदा है क्या कहिये
(इन्तिहा = अंत, समाप्ति, परिणाम, फल), (इब्तिदा = आरम्भ, प्रारम्भ, शुरुआत)
आज हाल-ए-दिल-ए-तबाह 'जिगर'
हमने किससे कहा है क्या कहिये
-जिगर मुरादाबादी
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