सपने टूटे ऐसे
तोड़ गया हो कोई
माटी का घर जैसे
मन से बाँधा मन को
जीवन से जीवन को
रूठ गए यूँ अपने
कश्ती से किनारा जैसे
साँसों को उलझाकर
मीठा दर्द जगा कर
तोड़ गया यूँ मन को
टूटे तारा जैसे
-नामालूम
तोड़ गया हो कोई
माटी का घर जैसे
मन से बाँधा मन को
जीवन से जीवन को
रूठ गए यूँ अपने
कश्ती से किनारा जैसे
साँसों को उलझाकर
मीठा दर्द जगा कर
तोड़ गया यूँ मन को
टूटे तारा जैसे
-नामालूम
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