जो लोग खाक़-ए-दश्त-ए-वफ़ा जानते नहीं
लैला-ए-ज़िन्दगी को वो पहचानते नहीं
(खाक़-ए-दश्त-ए-वफ़ा = वफ़ा के रेगिस्तान की धूल), (लैला-ए-ज़िन्दगी = लैला रूपी ज़िन्दगी)
जो लोग दिल की आग को पहचानते नहीं
हम उनके तब्सिरों का बुरा मानते नहीं
(तब्सिरा = आलोचना, समीक्षा, तन्कीद)
ग़म किस तरह हो कम जो मिलें ऐसे ग़म-गुसार
ग़म की नज़ाकतों को जो पहचानते नहीं
(ग़म-गुसार = दुख-दर्द का बाँटने वाला, सहानुभूति प्रकट करने वाला)
कितना बदल दिया है निगाहों को वक़्त ने
एक दूसरे को जैसे कि हम जानते नहीं
वाइज़ ख़ता मुआफ़ के रिंदान-ए-मैकदा
दिल के सिवा किसी का कहा मानते नहीं
(रिंदान-ए-मैकदा = मैख़ाना/ मधुशाला/ मदिरालय के शराबी)
ऐसे भी ज़िन्दगी में कई मेहरबाँ मिले
पहचान कर भी जो हमें पहचानते नहीं
वो बुत जिन्हें दिया था हमी ने शऊर-ए-हुस्न
मिलते हैं अब तो ऐसे कि पहचानते नहीं
फ़न जज़्बा-ओ-ख़ुलूस-ओ-लताफ़त का नाम है
फ़नकार दुश्मनी की कभी ठानते नहीं
(फ़न = कला), (जज़्बा = भावना, उत्साहपरक भाव, कुछ कर गुज़रने का विचार; उमंग, जोश, हौसला), (ख़ुलूस = सरलता और निष्कपटता, सच्चाई, निष्ठा), (लताफ़त = कोमलता, सुंदरता) , (फ़नकार = कलाकार)
इतना तो जानते हैं के हम हैं शहीद-ए-नाज़
क़ातिल की पूछते हो तो हम जानते नहीं
(शहीद-ए-नाज़ = प्रेमिका के नाज़ नख़रे पर प्राण न्यौछावर करने वाला)
-नामालूम
Jo log khaq-e-dasht-e-wafaa jaante nahi
Laila-e-zindagi ko wo pahchaante nahi
Jo log dil ki aag ko pahchaante nahi
Hum unke tabsaron ka bura maante nahi
Gham kis tarah ho kam jo milen aise gham-gusaar
Gham ki nazaakaton ko jo pahchaante nahi
Kitna badal diya hai nigaahon ko waqt ne
Ek doosre ko jaise ki hum jaaante nahi
Waaiz khata muaaf ke rindaan-e-maikda
Dil ke siwaa kisi ka kahaa maante nahi
Aise bhi zindagi mein kai meharbaan mile
Pahchaan kar bhi jo hamen pahchaante nahi
Wo but jinhen diya tha hamin ne shaur-e-husn
Milte hain ab to aise ki pahchaante nahi
Fan jazbaa-o-khuloos-o-lataafat ka naam hai
Fankaar dushmani ki kabhi thaante nahi
Itna to jaante hain ke hum hain shaheed-e-naaz
Qatil ki poochte ho to hum jaante nahi
-Unknown
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