लगता नहीं है दिल मिरा उजड़े दयार में
किस की बनी है आलम-ए-ना-पाएदार में
(दयार = शहर, घर, मकान), (आलम-ए-नापायदार = नश्वर जगत)
कह दो इन हसरतों से कहीं और जा बसें
इतनी जगह कहाँ है दिल-ए-दाग़-दार में
(दिल-ए-दाग़दार = घायल हृदय)
काँटों को मत निकाल चमन से ओ बाग़बाँ
ये भी गुलों के साथ पले हैं बहार में
बुलबुल को बाग़बाँ से न सय्याद से गिला
क़िस्मत में क़ैद लिक्खी थी फ़स्ल-ए-बहार में
(फ़स्ल-ए-बहार = बहार का मौसम)
कितना है बद-नसीब 'ज़फ़र' दफ़्न के लिए
दो गज़ ज़मीन भी न मिली कू-ए-यार में
(कू-ए-यार = यार की गली)
-बहादुर शाह ज़फ़र
उम्र-ए-दराज़ माँग के लाई थी चार दिन
दो आरज़ू में कट गये, दो इंतज़ार में
-सीमाब अकबराबादी
(उम्र-ए-दराज़ == लम्बी उम्र)
Live in Kenya
lagtā nahīñ hai dil mirā ujḌe dayār meñ
kis kī banī hai ālam-e-nā-pā.edār meñ
kah do in hasratoñ se kahīñ aur jā baseñ
itnī jagah kahāñ hai dil-e-dāġh-dār meñ
kāñToñ ko mat nikāl chaman se o bāġhbāñ
ye bhī guloñ ke saath pale haiñ bahār meñ
bulbul ko bāġhbāñ se na sayyād se gila
qismat meñ qaid likkhī thī fasl-e-bahār meñ
kitnā hai bad-nasīb 'zafar' dafn ke liye
do gaz zamīn bhī na milī kū-e-yār meñ
-Bahadur Shah Zafar
umr-e-darāz maañg ke laa.ī thī chaar din
do aarzū meñ kaT ga.e do intizār meñ
-Seemab Akbarabadi
No comments:
Post a Comment