Saturday 17 January 2015

Saaqī sharāb lā ki tabī.at udaas hai/ साक़ी शराब ला कि तबीअ'त उदास है

साक़ी शराब ला कि तबीअ'त उदास है
मुतरिब रुबाब उठा कि तबीअ'त उदास है

( मुतरिब = गायक), (रुबाब = सितार और सारंगी की तरह का एक बाजा)

रुक रुक के साज़ छेड़ कि दिल मुतमइन नहीं
थम थम के मय पिला कि तबीअ'त उदास है

(मुतमइन = जिसे इत्मीनान हो, संतुष्ट, निश्चिन्त, बेफ़िक्र, आनंदपूर्वक, ख़ुशहाल)

चुभती है क़ल्ब ओ जाँ में सितारों की रौशनी
ऐ चाँद डूब जा कि तबीअ'त उदास है

(क़ल्ब = हृदय, मन, दिल) 

मुझ से नज़र न फेर कि बरहम है ज़िंदगी
मुझ से नज़र मिला कि तबीअ'त उदास है

(बरहम = आक्रोशित, ग़ुस्से में, नाराज़, क्रुद्ध, क्षुब्ध) 

शायद तिरे लबों की चटक से हो जी बहाल
ऐ दोस्त मुस्कुरा कि तबीअ'त उदास है

(चटक - चमक-दमक, कांति) 

है हुस्न का फ़ुसूँ भी इलाज-ए-फ़सुर्दगी
रुख़ से नक़ाब उठा कि तबीअ'त उदास है

(फ़ुसूँ = जादू, मंत्र, इंद्रजाल), (इलाज-ए-फ़सुर्दगी = खिन्नता, मलिनता, उदासी का उपचार)  

मैं ने कभी ये ज़िद तो नहीं की पर आज शब
ऐ मह-जबीं न जा कि तबीअ'त उदास है

(मह-जबीं = चाँद की सी रोशन पेशानी/ माथा/ ललाट वाली, हसीन, सुंदर, प्रेमिका) 

इमशब गुरेज़-ओ-रम का नहीं है कोई महल
आग़ोश में दर आ कि तबीअ'त उदास है

(इमशब  = आज की रात), (गुरेज़-ओ-रम = बचना; दूर रहना, पलायन), (महल = ठिकाना, मौक़ा, वक़्त, स्थान) 

कैफ़िय्यत-ए-सुकूत से बढ़ता है और ग़म
क़िस्सा कोई सुना कि तबीअ'त उदास है

(कैफ़िय्यत-ए-सुकूत = नीरवता, सन्नाटा, ख़ामोशी, मौन, चुप्पी की हालत )

यूँही दुरुस्त होगी तबीअ'त तिरी 'अदम'
कम-बख़्त भूल जा कि तबीअ'त उदास है

(कम-बख़्त = कम भाग्य वाला)  

तौबा तो कर चुका हूँ मगर फिर भी ऐ 'अदम'
थोड़ा सा ज़हर ला कि तबीअ'त उदास है

-अब्दुल हमीद अदम





saaqī sharāb lā ki tabī.at udaas hai
mutrib rubāb uThā ki tabī.at udaas hai

ruk ruk ke saaz chheḌ ki dil mutma.in nahīñ
tham tham ke mai pilā ki tabī.at udaas hai

chubhtī hai qalb o jaañ meñ sitāroñ kī raushnī
ai chāñd Duub jā ki tabī.at udaas hai

mujh se nazar na pher ki barham hai zindagī
mujh se nazar milā ki tabī.at udaas hai

shāyad tire laboñ kī chaTak se ho jī bahāl
ai dost muskurā ki tabī.at udaas hai

hai husn kā fusūñ bhī ilāj-e-fasurdagī
ruḳh se naqāb uThā ki tabī.at udaas hai

maiñ ne kabhī ye zid to nahīñ kī par aaj shab
ai mah-jabīñ na jā ki tabī.at udaas hai

imshab gurez-o-ram kā nahīñ hai koī mahal
āġhosh meñ dar aa ki tabī.at udaas hai

kaifiyyat-e-sukūt se baḌhtā hai aur ġham
qissa koī sunā ki tabī.at udaas hai

yūñhī durust hogī tabī.at tirī 'adam'
kam-baḳht bhuul jā ki tabī.at udaas hai

tauba to kar chukā huuñ magar phir bhī ai 'adam'
thoḌā sā zahr lā ki tabī.at udaas hai

-Abdul Hameed Adam

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