Saturday 17 January 2015

Saans lena bhi sazaa lagta hai\ साँस लेना भी सज़ा लगता है

साँस लेना भी सज़ा लगता है 
अब तो मरना भी रवा लगता है 

(रवा = बहुत थोड़ा, ज़रा सा, कण, दाना, छोटा टुकड़ा)

जब से देखा है तुम्हें होश नहीं 
तेरी आँखों में नशा लगता है 

कोह-ए-ग़म पर से जो देखूँ तो मुझे 
दश्त आग़ोश-ए-फ़ना लगता है 

(कोह-ए-ग़म = दुःख का पहाड़), (दश्त = जंगल, मरुस्थल, बियाबान), (आग़ोश-ए-फ़ना = मौत के आलिंगन में)

सर-ए-बाज़ार है यारों की तलाश 
जो गुज़रता है ख़फ़ा लगता है 

(सर-ए-बाज़ार = बीच बाज़ार में, सबके सामने), (ख़फ़ा = नाराज़)

मौसम-ए-गुल में सर-ए-शाख़-ए-गुलाब 
शो'ला भड़के तो बजा लगता है 

(मौसम-ए-गुल = वसंत ऋतु, फूलों का मौसम), (सर-ए-शाख़-ए-गुलाब = गुलाब की टहनी पर), (बजा = उचित, उपयुक्त, मुनासिब)

मुस्कुराता है जो इस आलम में 
ब-ख़ुदा मुझ को ख़ुदा लगता है 

(आलम = दुनिया, संसार), (ब-ख़ुदा = ईश्वर के लिए, ख़ुदा की क़सम)

इतना मानूस हूँ सन्नाटे से 
कोई बोले तो बुरा लगता है 

(मानूस = परिचित, जाना पहचाना, हिला-मिला हुआ)

उन से मिल कर भी न काफ़ूर हुआ 
दर्द ये सब से जुदा लगता है 

(काफ़ूर = कपूर), (काफ़ूर होना = गायब हो जाना, अदृश्य होना)

नुत्क़ का साथ नहीं देता ज़ेहन 
शुक्र करता हूँ गिला लगता है 

(नुत्क़ = शब्द, वाणी, बोली, वाक्शक्ति, वाचनशक्ति, बोलने की शक्ति, ज़ुबान, बात करने की ताक़त), (ज़ेहन = बुद्धी, मन, विचार की क्षमता, समझ), (शुक्र करना = उपकार मानना, कृतज्ञताज्ञापन, धन्यवाद, कृतज्ञता, शुक्रगुज़ारी), (गिला = शिकवा, शिकायत, निंदा, उलाहना, उपालंभ)

इस क़दर तुंद है रफ़्तार-ए-हयात 
वक़्त भी रिश्ता-बपा लगता है 

(तुंद = तेज़, तीव्र), (रफ़्तार-ए-हयात =  ज़िन्दगी की रफ़्तार/ गति चाल), (बपा = उपस्थित, कायम)

-अहमद नदीम क़ासमी



saañs lenā bhī sazā lagtā hai 
ab to marnā bhī ravā lagtā hai 

koh-e-ġham par se jo dekhūñ to mujhe 
dasht āġhosh-e-fanā lagtā hai 

sar-e-bāzār hai yāroñ kī talāsh 
jo guzartā hai ḳhafā lagtā hai 

mausam-e-gul meñ sar-e-shāḳh-e-gul 
sho.ala bhaḌke to bajā lagtā hai 

muskurātā hai jo is aalam meñ 
ba-ḳhudā mujh ko ḳhudā lagtā hai 

itnā mānūs huuñ sannāTe se 
koī bole to burā lagtā hai 

un se mil kar bhī na kāfūr huā 
dard ye sab se judā lagtā hai 

nutq kā saath nahīñ detā zehn 
shukr kartā huuñ gila lagtā hai 

is qadar tund hai raftār-e-hayāt 
vaqt bhī rishta-bapā lagtā hai 

-Ahmed Nadeem Qasmi 

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