मैं ख़ुद ही अपनी तलाश में हूँ मेरा कोई रहनुमा नहीं है
वो क्या दिखाएंगे राह मुझको जिन्हें ख़ुद अपना पता नही है
(रहनुमा = पथ-प्रदर्शक, मार्गदर्शक)
मसर्रतों की तलाश में है, मगर ये दिल जानता नहीं है
अगर ग़म-ए-ज़िन्दगी न हो तो ज़िन्दगी में मज़ा नहीं है
(मसर्रतों =ख़ुशियों), (ग़म-ए-ज़िन्दगी = ज़िन्दगी के दुःख)
बहुत दिनों से मैं सुन रहा था सज़ा वो देते हैं हर ख़ता पर
मुझे तो इसकी सज़ा मिली है के मेरी कोई ख़ता नहीं है
शऊर-ए-सजदा नही है मुझको तू मेरे सजदों की लाज रखना
ये सर तेरे आस्ताँ से पहले किसी के आगे झुका नही है
(शऊर-ए-सजदा = सजदा करने का तरीक़ा/ ढंग/ तहज़ीब/ तमीज़/ शिष्टाचार), (आस्ताँ = चौखट, दहलीज़)
ये इनके मंदिर, ये इनके मस्जिद, ये ज़रपरस्तों की सजदागाहें
अगर ये इनके ख़ुदा का घर है तो इनमें मेरा ख़ुदा नहीं है
(ज़रपरस्तों = पैसे को पूजने वाले, लोभी)
दिल आईना है, तुम अपनी सूरत, सँवार लो और ख़ुद ही देखो
जो नुक्स होगा दिखाई देगा ये बेज़ुबाँ बोलता नहीं है
ये आप नज़रें बचा बचा कर बग़ौर क्या देखते हैं मुझको
तुम्हारे काम आ सके तो ले लो हमारे ये काम का नहीं है
-राज़ अलाहाबादी
Main khud hi apni talaash mein hoon mera koi rehnuma nahi hai
Woh kyaa dikhayenge raah mujhko jinhein khud apna pata nahi hai
MasarratoN ki talaash mein hai, magar ye dil jaanta nahi hai
Agar gham-e-zindagi na ho to zindagi mein mazaa nahi hai
Bahot dino se main sun raha tha sazaa wo dete hain har khataa par
Mujhe to iski sazaa mili hai, ke meri koi khataa nahi hai
Shaoour-e-sajada nahi hai mujhko tu mere sajdoN ki laaj rakhana
Ye sar tere aashtaN se pehale Kisi ke aage jhuka nahi hain
Ye inke mandir ye inki masjid ye zarparasto ki sajda gaheN
Agar ye inke khuda ke ghar hai to inmein mera khuda nahi hain
Dil aainaa hai, tum apni soorat, sanwaar lo aur khud hi dekho
Jo nuks hoga dikhaai dega ye bezubaaN bolta nahi hai
-Raaz Allahabadi
वो क्या दिखाएंगे राह मुझको जिन्हें ख़ुद अपना पता नही है
(रहनुमा = पथ-प्रदर्शक, मार्गदर्शक)
मसर्रतों की तलाश में है, मगर ये दिल जानता नहीं है
अगर ग़म-ए-ज़िन्दगी न हो तो ज़िन्दगी में मज़ा नहीं है
(मसर्रतों =ख़ुशियों), (ग़म-ए-ज़िन्दगी = ज़िन्दगी के दुःख)
बहुत दिनों से मैं सुन रहा था सज़ा वो देते हैं हर ख़ता पर
मुझे तो इसकी सज़ा मिली है के मेरी कोई ख़ता नहीं है
शऊर-ए-सजदा नही है मुझको तू मेरे सजदों की लाज रखना
ये सर तेरे आस्ताँ से पहले किसी के आगे झुका नही है
(शऊर-ए-सजदा = सजदा करने का तरीक़ा/ ढंग/ तहज़ीब/ तमीज़/ शिष्टाचार), (आस्ताँ = चौखट, दहलीज़)
ये इनके मंदिर, ये इनके मस्जिद, ये ज़रपरस्तों की सजदागाहें
अगर ये इनके ख़ुदा का घर है तो इनमें मेरा ख़ुदा नहीं है
(ज़रपरस्तों = पैसे को पूजने वाले, लोभी)
दिल आईना है, तुम अपनी सूरत, सँवार लो और ख़ुद ही देखो
जो नुक्स होगा दिखाई देगा ये बेज़ुबाँ बोलता नहीं है
ये आप नज़रें बचा बचा कर बग़ौर क्या देखते हैं मुझको
तुम्हारे काम आ सके तो ले लो हमारे ये काम का नहीं है
-राज़ अलाहाबादी
Main khud hi apni talaash mein hoon mera koi rehnuma nahi hai
Woh kyaa dikhayenge raah mujhko jinhein khud apna pata nahi hai
MasarratoN ki talaash mein hai, magar ye dil jaanta nahi hai
Agar gham-e-zindagi na ho to zindagi mein mazaa nahi hai
Bahot dino se main sun raha tha sazaa wo dete hain har khataa par
Mujhe to iski sazaa mili hai, ke meri koi khataa nahi hai
Shaoour-e-sajada nahi hai mujhko tu mere sajdoN ki laaj rakhana
Ye sar tere aashtaN se pehale Kisi ke aage jhuka nahi hain
Ye inke mandir ye inki masjid ye zarparasto ki sajda gaheN
Agar ye inke khuda ke ghar hai to inmein mera khuda nahi hain
Dil aainaa hai, tum apni soorat, sanwaar lo aur khud hi dekho
Jo nuks hoga dikhaai dega ye bezubaaN bolta nahi hai
-Raaz Allahabadi
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