ये दुनिया खाली तो नहीं इंसानो से
मिलते रहिये अपनों से बेगानों से
किसको ग़रज़ है कौन हक़ायक़ तक पहुँचे
काम तो चल ही जाता है अफ़सानों से
(हक़ायक़ = हक़ाइक़ = हक़ीक़त का बहुवचन, हक़ीक़तें, सच्चाइयाँ)
दीजिये कोई आप ही दानाई का सबूत
नादानी तो मुमकिन है नादानों से
(दानाई = अक्लमंदी, बुद्धिमत्ता)
और अभी बाकी है कितनी फ़स्ल-ए-जुनूं
पूछ रहे हैं दीवाने दीवानों से
(फ़स्ल-ए-जुनूं = दीवानगी/ उन्माद का मौसम)
कुछ हाथों में पत्थर हैं बेताब 'एजाज़'
झाँक रही हैं कुछ आँखें ऐवानों से
(ऐवान = महल, भवन, परिषद्, संसद)
-एजाज़ सिद्दीक़ी
Live In Nairobi 1976
Live in Dubai
Ye duniya khaali to nahi insano se
Milte rahiye apno se begaano se
Kisko garaz hai kaun haqaayaq tak pahunche
Kaam to chal hi jaata hai afsaano se
Deejiye koyi aap hi daanaai ka saboot
Nadaani to mumkin hai naadano se
Aur abhi baaki hai kitni fasl-e-junoon
Pooch rahe hain diwane diwano se
Kuch haathon mein patthar hain betaab 'ijaaz'
Jhaank rahi hain kuch aankhe aivano se
-Ejaz Siddiqi
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